Bihar Board Biology vvi viral question class 10, मैट्रिक परीक्षा viral question 2023, Bihar Board viral question class 10 2023

  1. मनुष्य में कितने प्रकार के दाँत होते हैं? उनके नाम तथा कार्य लिखें।

उत्तर– मनुष्य में दाँत चार प्रकार के होते हैं |

  • (i) कतर्नक या इंसाइजर
  • (ii) भेदक या कैनाइन
  • (iii) अग्रचवर्णक या प्रीमोलर
  • (iv) कतर्नक या इंसाइजर

दाँतकेकार्य:-

  • (i) कर्तनक–यह भोजन को कुतरने या काटने का कार्य करता है।
  • ( ii ) भेदक -यह भोजन को चिड़ने तथा फाड़ने का कार्य करता है।
  • ( iii ) अग्रचवर्णक -यह भोजन को चबाने का कार्य करता है।
  • ( iv ) चवर्णक -यह भोजन को पीसने का कार्य करता है।

2. हमारे आमाशय में अम्ल की भूमिका क्या है?

उत्तर– हमारे अमाशय में अम्ल के अहम भूमिका है यह पेप्सिनोजेन को पेप्सिन एंजाइम में बदलता है जो भोजन के प्रोटीन पर क्रिया कर उसे पेप्टोन में बदल देती है।यह एक जीवाणुनाशक की तरह कार्य करता है तथा भोजन में उपस्थित बैक्टीरिया को नष्ट कर देता है।

3. दीर्घरोम क्या है ?  इसके कार्य लिखें।

उत्तर– दीर्घ रोम ऊँगली नुमा संरचना है जो क्षुद्रांत के अन्दुरुनी सतह पर पाया जाता है। प्रत्येक आंतीय कोशिका में लगभग 3000 दीर्घरोम  पाया जाता है।

कार्य:-

  • (i) पचा हुआ भोजन दीर्घरोम में दिवार द्वारा अवशोषित होकर रुधिर कोशिकाओं में जाते हैं |
  • ( ii ) अवशोषित भोजन रुधिर परिसंचरण तंत्र के माध्यम से शरीर के विभिन्न भागों में फ़ैल जाते हैं।

 4. सजीव के मुख्य पांच लक्षण लिखें।

उत्तर- सजीवों के मुख्य चार लक्षण निम्नलिखित हैं —

 ( i ) गति  ( ii ) श्वसन ( iii ) प्रजनन ( iv ) उत्सर्जन ( v ) वृद्धि एवं विकास

5. पित्त क्या है ? मनुष्य के पाचन तंत्र में इसका क्या महत्त्व है?

उत्तर-पित्त एक गाढ़ा हरे रंग का क्षारीय द्रव है जिसका PH 8.9 होता है जो यकृत कोशिकाओं से निकलता होता है।

मनुष्य के पाचन क्रिया में महत्त्व:-

  • ( i ) पित्त अम्लीय काइम को समाप्त कर क्षारीय बना देता है।
  • ( ii ) पित्त भोजन के जटिल वसा का विखण्डन तथा पायसीकरण कर देते हैं।जिससे भोजन के वसा का पाचन होता है।

6. स्वपोषी पोषण तथा विषम पोषी पोषण में क्या अंतर है?

उत्तर- 1.स्वपोषी पोषण पौधे में पाया जाता है जबकि जबकि विषम पोषी पोषण जन्तुओं में पाया जाता है

2.स्वपोषी पोषण में कार्बनडाइऑक्साइड तथा जल की आपस में संयोजन क्रिया से कार्बनिक पदार्थों का निर्माण होता है जबकि  विषम स्वपोषी पोषण में जंतु अपने भोजन के लिए पौधों तथा शाकाहारी प्राणियों पर निर्भर करते हैं।

7. पाचक एंजाइमों का क्या कार्य है? या आमाशय में पाचक रस की क्या भूमिका है?

उत्तर– पाचक एंजाइम भोजन के विभिन्न पोषक तत्त्वों को जटिल रूप से सरल रूप में बदल कर घुलनशील बनाते हैं। जैसे लार में उपस्थित सैलाइवरी एमाइलेज कार्बोहाइड्रेट को माल्टोज शर्करा में बदल देता है। इसी प्रकार से पेप्सिन प्रोटीन को पेप्टोन में बदल देता है। अग्नाशयिक रस में उपस्थित ट्रिप्सिन एंजाइम प्रोटीन का पाचन करता है।

8. प्रकाशसंश्लेषण क्या है? इस क्रिया का रासायनिक समीकरण लिखें।

उत्तर- प्रकाश-संश्लेषण हरे पौधे सूर्य के प्रकाश द्वारा क्लोरोफिल नामक वर्णक की उपस्थिति में कार्बन डाईऑक्साइड और जल के द्वारा कार्बोहाइड्रेट का निर्माण करते हैं और ऑक्सीजन गैस बाहर निकालते हैं। इस प्रक्रिया को प्रकाश-संश्लेषण कहते हैं।

6CO2 + 12H2O सूर्य प्रकाश + क्लोरोफिल  C6H12O6 + 6O2 +6H2O

                                           (ग्लूकोज)

9. प्रकाश संश्लेषण के लिए आवश्यक कच्ची सामग्री पौधे कहाँ से प्राप्त करते हैं

उत्तर- प्रकाश संश्लेषण के लिए आवश्यक कच्ची सामग्री पौधे यहाँ  से प्राप्त करते हैं –

  • ( i ) कार्बनडाइक्साइड — पौधे इसे वायुमंडल से प्राप्त करते हैं।
  • ( ii ) जल पौधे इसे जड़ों द्वारा प्राप्त करता है।
  • ( iii ) पर्णहरितयह हरित लवक में उपस्थित होता है।
  • ( iv ) सूर्यकाप्रकाश – पौधे सूर्य के प्रकाश से फोटोन ऊर्जा कणों के रूप में प्राप्त करते हैं।

10. श्वसन की परिभाषा दें ।

Ans- : श्वसन एक विशेष प्रकार का जैव प्रक्रम है जिसमें ऑक्सीजन शरीर की कोशिकाओं में पहुँचता है जहाँ इसका उपयोग कोशकीय ईंधन के ऑक्सीकरण में होता है। जिसके फलस्वरूप जैव ऊर्जा का उत्पादन होता है।इस अभिक्रिया में कार्बनडाईऑक्साइड, जल ततः उर्जा का निर्माण होता है ।

 11. मछली , मच्छर , केंचुआ और मनुष्य के मुख्य श्वसन अंगों के नाम लिखें ।

Ans-मुख्य श्वसन अंगों के नाम निम्नलिखित हैं

  • (i) मछली–क्लोम अथवा गिल्स-
  • (ii) मच्छरट्रैकिया
  • (iii) केंचुआत्वचा 
  • ( iv ) मनुष्यफेफड़ा

12. श्वसन एवं दहन में कोई दो अंतर लिखें ।

Ans-

श्वसनदहन
1.यह कोशिका में होता है।1. यह कोशिका में नहीं होता है।
3.यह एंजाइम के द्वारा नियंत्रित होती है।3. यह एंजाइम के द्वारा नियंत्रित नहीं होता है।
4. इसमें प्रकाश की उत्पत्ति नहीं होती है।4. इसमें तेज लौ के साथ प्रकाश की उत्पत्ति होती है।
5. इसमें उत्पादक का निर्माण नहीं होता है।5. कई उत्पादों का निर्माण होता है।

13. वायवीय तथा अवायवीय श्वसन में क्या अंतर है ? कुछ जीवों के नाम जिसमें अवायवीय श्वसन होता है ।

Ans-

वायवीय श्वसनअवायवीय श्वसन
1. यह ऑक्सीजन की उपस्थिति होता है।1.  यह ऑक्सीजन की अनुपस्थिति  में होता है
2. यह कोशिका के अंदर माइट्रोकॉण्डिया में होता है।2.यह माइट्रोकॉण्डिया के बाहर कोशिका द्रव में होता है।
3. इसका आखिरी उत्पाद CO2,  और जल है।3. इसका आखिरी उत्पाद इथेनॉल अथवा लैक्टिक अम्ल है।
4. इसमें ATP  ऊर्जा के 38 अणु बनते हैं4. इसमें ATP ऊर्जा के दो अणु बनते हैं।
5. इसमें ऊर्जा की मात्रा अत्यधिक होती है।5. इसमें ऊर्जा की मात्रा कम होती है।

जीवों के नाम जिसमें अवायवीय श्वसन होता है

फीताकृमि, गोलकृमि, बैक्टीरिया, यीस्ट इत्यादि।

14 . श्वसन एवं श्वासोच्छ्वास में क्या अंतर है ?

Ans-

श्वसनश्वासोच्छ्वास
1. यह क्रिया कोशिका के भीतर होती है |1.  यह क्रिया कोशिकाओं के बाहर होती है |
2. इसमें एंजाइमों की आवश्यकता होती है |2. इसमें एंजाइमों की आवश्यकता नही  होती है |

15. लसिका क्या है? इसके कार्यों का वर्णन करें ।

Ans- लसिका श्वेत संवहनी ऊतक है । श्वेत रक्त कोशिकाओं तथा रक्त प्लाज्मा को सम्मिलित रूप लसिका या ऊतक द्रव कहलाता है ।

लसिका का कार्य:-

 (i) इसके द्वारा कोशिकाओं में ऑक्सीजन, भोज्य पदार्थों तथा हॉर्मोन का विसरण होता है ।

(ii) कोशिकाओं में उपापचयी क्रिया के कारण बने कार्बन डायक्साइड, जल तथा अपशिष्टों का भी विसरण होता है ।

(iii) यह वसीय भोज्य पदार्थों को आंत से शिरीय रक्त में पहुँचाता है ।

16. वाष्पोत्सर्जन एवं स्थानान्तरण में अंतर लिखें ।

Ans-

                    वाष्पोत्सर्जन                              स्थानान्तरण
1. पौधों में जल का वायवीय भागों से जलवाष्प के रूप निकलना वाष्पोत्सर्जन कहलाता है ।1. पौधों में जल, खनिज लवण तथा खाद्य पदार्थों का एक निश्चित ऊँचाई तक संचालन , स्थानान्तरण कहलाता है ।
2. यह एक शारीरिक क्रिया है जिसके द्वारा पौधे एक निश्चित मात्रा में जल का निष्कासन करते हैं ।2. यह फ्लोएम वाप्पोत्सर्जन द्वारा संभव होता है ।

17. रक्त के दो कार्य लिखें ।

Ans- रक्त के निम्नलिखित कार्य हैं   

(i) पोषक पदार्थों के परिवहन में:- यह शर्करा , अमीनो अम्ल , खनिज तथा विटामिन का परिवहन शरीर के विभिन्न भागों में करता है

(ii) ऑक्सीजन के परिवहन में:- ऑक्सीजन रुधिर के हीमोग्लोबिन के साथ साथ फेफड़ों से शरीर के विभिन्न भागों तक पहुँचाते हैं ।

(iii) कार्बन डायक्साइड के परिवहन में:- श्वसन दौरान बने CO2 रुधिर के द्वारा फेफड़ों में पहुँचते हैं ।

(iv) हॉर्मोन के परिवहन में– अन्तःस्रावी ग्रंथियों से निकलने वाले हॉर्मोन का स्राव रक्त से अनेक भागों में होता है ।

18. मानव में परिवहन तंत्र के घटक कौन – कौन से हैं ? किन्हीं दो घटकों के कार्य लिखें |

Ans- मानव परिवहन तंत्र के निम्न घटक हैं

( i ) हृदय ( ii ) रुधिर वाहिनियाँ ( iii ) लसीका तंत्र ।

 परिवहन तंत्र के घटक के कार्य

(i) हृदय हृदय पेशियों द्वारा निर्मित संकुचनशील संरचना है , जो पूरे शरीर में रुधिर को पंप करने तथा वापस प्राप्त करने का काम करता है

(ii) रुधिर वाहिनियाँ

(a) धमनियाँ- यह  शुद्ध रक्त हृदय से शरीर के विभिन्न भागों में ले जाती है ।

(b) शिराएँ यह अशुद्ध रक्त को विभिन्न अंगों से हृदय की ओर ले जाता है ।

(c) रुधिर केशिकाएँ – रुधिर केशिकाएँ द्वारा ऊतकों एवं रूधिर के बीच पदार्थों का आदान – प्रदान विसरण विधि द्वारा होता है ।

19.ऑक्सी हीमोग्लोबिन क्या है ?

Ans- हीमोग्लोबिन ऑक्सीजन के साथ संयोग करके ऑक्सी हीमोग्लोबिन बनाता है तथा रक्त परिवहन तंत्र द्वारा शरीर के विभिन्न भागों में पहुँचाता है । शरीर की कोशिकाओं में ऑक्सी हीमोग्लोबिन से ऑक्सीजन अलग हो जाता है तो ऑक्सीजन विसरण द्वारा कोशिकाओं में पहुँचकर कोशकीय श्वसन में भाग लेता है । इस प्रक्रिया को ऑक्सी हीमोग्लोबिन कहते है |

20. जाइलम तथा फ्लोएम में क्या अंतर है ?

Ans- जाइलम तथा फ्लोएम में निम्न अंतर है |

                        जाइलम                    फ्लोएम
1. यह जल तथा घुलित खनिज लवण का परिवहन करता है ।1. यह खाद्य पदार्थों स्थानान्तरण करता है ।
2. इसमें जल तथा खनिज लवणों के परिवहन एकदिशीय पथ में होता है ।2. इसमें खाद्य पदार्थों का स्थानांतरण द्विद्विशीय पथ में होता है ।
3. इसमें ऊतक वाहिकाएँ एव वाहनिकाएँ पाई जाती हैं ।इसमें चालनी नलिकाएँ पाई जाती हैं ।

21. पादप में जल और खनिज लवण का वहन कैसे करता है?

Ans- पादप में जल तथा खनिज लवण का वहन जाइलम ऊतक द्वारा एकदिशीय होता है । इसमें वाहिकाएँ एवं वाहिनिकाएँ पाई जाती हैं| वाहिकाएँ लंबी तथा बेलनाकार होती हैं तथा यह एक के ऊपर लगी रहती हैं । इन कोशिकाओं के बीच की भित्ति घुल जाने के कारण जल का एक स्तंभ बन जाता है । इस प्रकार जल तथा खनिज लवणों का परिवहन होता है ।

22.पौधों में गैसों का आदान – प्रदान कैसे होता है ?

Ans- पौधों में गैसों का आदान-प्रदान उनकी पत्तियों में उपस्थित रन्ध्र के द्वारा होता है। उनके CO2 एवं O2 का आदान-प्रदान विसरण क्रिया द्वारा होता है, जिसकी दिशा पौधों की आवश्यकता एवं पर्यावरणीय अवस्थाओं पर निर्भर करती है।

23.धमनी तथा शिरा में अंतर बताइए ।

Ans-

                             धमनी                                शिरा
 1. ये रक्त को हृदय से विभिन्न अंगो तक ले जाती है ।1. ये रक्त को सभी अंगों से हृदय में लाती है ।
  2. धमनियों में रक्त झटके के साथ अंगों की ओर बहता है ।2.  शिरा में रक्त का बहाव  धीरे – धीरे होता है ।
3. धमनियों में अक्सर ऑक्सीजन युक्त रक्त प्रवाहित होती है । 3. शिराओं में अक्सर कार्बन डायक्साइड युक्त रक्त प्रवाहित होती है ।
4. धमनियाँ की दिवार मोटी परन्तु लचीली होती है | 4. शिराओं की दिवार पतली एवं कम लचीली होती है ।
5. यह  गहराई में स्थित होती है 5. यह ऊपरी सतह में स्थित होती है

24. उत्सर्जन की परिभाषा दें । उत्सर्जी पदार्थ क्या है ?

Ans- सजीवों के शरीर में भोजन पचने के बाद बने ठोस, द्रव तथा गैसीय अपशिष्ट पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने की क्रिया को उत्सर्जन कहते हैं ।

उत्सर्जी पदार्थ अमोनिया, यूरिया या यूरिक अम्ल इत्यादि

25 .  तंत्रिका तंत्र के क्या कार्य है ?

Ans – तंत्रिका तंत्र के कार्य है –

 ( i ) यह विभिन्न प्रकार की आंतरिक संवेदना या उद्दीपनों जैसे भूख , प्यास ,रोग इत्यादि तथा बाहरी संवेदना प्रभावों को ग्रहण कर उनका संवहन शरीर के विभिन्न भागों तक करता है ।

( ii ) यह आंतरिक तथा बाह्य संवेदनाओं की प्रतिक्रिया के लिए  शरीर के विभिन्न अंगों को प्रेरित करता है ।

 26. तंत्रिका ऊतक कैसे क्रिया करता है ?

Ans – तंत्रिका ऊतक सूचनाओं को संग्रह करते हैं और उन्हें पूरे शरीर में भेजते हैं  ताकि क्रिया हो सके। संदेश पाने के बाद पेशियाँ अपना आकार बदलती हैं। इससे वे छोटी हो जाती हैं। इनमें विशिष्ट प्रोटीन पाये जाते हैं। ये प्रोटीन पेशियों के आकारों को बदल सकते हैं तथा तंत्रिकाओं से प्राप्त होने वाले विद्युत आवेग के अनुसार उनमें अनुक्रिया उत्पन्न कर सकती हैं।

27. पादप में प्रकाशानुवर्तन किस प्रकार होता है ?

Ans- पौधे के तने का ऊपरी भाग तथा पत्तियाँ प्रकाश की दिशा में गति करते हैं । पौधों की यह गति प्रकाशानुवर्तन कहलाती है । पौधे का तना प्रकाश के प्रति अनुक्रिया दिखाता है , जिसके कारण यह उसकी ओर मुड़ जाती है । प्रकाशानुवर्तन गतियाँ अक्सर ऑक्सिन हॉर्मोन की अधिक एवं कमी के कारण होती है ।

28. दो पादप हॉर्मोनों का नाम लिखें एवं उनके एक – एक कार्य लिखें |

Ans- दो पादप हॉर्मोन निम्नलिखित हैं

( i ) ऑक्सिन ( ii ) जिब्बेरेलिन

( i ) ऑक्सिन के कार्य — यह पौधों में कोशिका विभाजन तथा कोशिका दीर्घन में भाग लेता है ।

( ii ) जिब्बेरेलिन के कार्य – यह तना की वृद्धि में सहायक है एवं फलों एवं फूलों का उत्पादन में भी सहायक होता है ।

29. जंतुओं में रासायनिक समन्वय कैसे होता है?

Ans- जंतुओं में अंतःस्रावी ग्रंथियाँ विशेष रसायनों को उत्पन्न करती हैं। अधिवृक्क ग्रंथि से स्रावित एड्रीनलीन हॉर्मोन सीधा रुधिर में स्रावित होता है और शरीर के विभिन्न भागों तक पहुँच जाता है। उत्तक अपने लिए आवश्यक हॉर्मोनों को पहचान कर उनका उपयोग बाहरी या भीतरी स्तर पर करते हैं। इन्ही कार्यों को करने वाले अंगों से समन्वय कर वे हॉर्मोन अपना प्रभाव दिखाते हैं।

30.मधुमेह से आप क्या समझते हैं |

Ans- अग्न्याशय में इंसुलिन नामक हॉर्मोन का निर्माण होता है । इंसुलिन रुधिर में ग्लूकोज की मात्रा को नियंत्रित करता है । यदि शरीर में इंसुलिन की कमी हो जाए तो मधुमेह नामक बीमारी उत्पन्न हो जाती है । इस रोग का उपचार इंसुलिन के इंजेक्शन द्वारा किया जाता है ।

31. आयोडिन की कमी से कौन – सी बीमारी होती है तथा कैसे?

Ans- आयोडिन की कमी से घेंघा या गलगंड नामक बीमारी होता है । थायराइड ग्रंथि से स्त्रावित हार्मोन थाइरॉक्सिन के संश्लेषण के लिए आयोडिन का होना आवश्यक है । यह शरीर में कार्बोहाइड्रेट , प्रोटीन एवं वसा को नियंत्रण करता है । जब मनुष्य में आयोडिन की कमी होती है , तो थायरॉक्सिन हार्मोन के निर्माण की गति बहुत ही धीमी या काफी बढ़ जाता है जिसे घेंघा रोग कहा जाता है ।

32. प्रतिवर्ती क्रिया में मस्तिष्क की क्या भूमिका है ?

Ans- मस्तिष्क, सिर, गर्दन और धड़ की प्रतीवर्ती गतियों को नियंत्रित करता है । यह नेत्र पेशियों की गति, पुतली के आकार में परिवर्तन और नेत्र लैंस के आकार में परिवर्तन को भी नियंत्रित करता है। इसके एलावे मस्तिष्क का मैडुला आब्लॉगेटा भाग हृदय स्पंदन, सांस लेना, रक्त दाब पसीना, खाँसना, छींकना, वमन को भी नियंत्रित करता है।

33. परागण किसे कहते हैं ? परपरागण की परिभाषा दें ।

Ans-  परागकणों का परागकोष से स्त्रीकेसर के वर्तिकाग्र पर पहुँचना परागण कहलाता है ।

परपरागण – यदि एक पौधे के पुष्प के परागकणों का प्रकीर्णन दुसरे पौधों पर स्थित पुष्प के वर्तिकाग्र तक हो तो ऐसे परागण को परपरागण कहते हैं ।

34. पुनर्जनन क्या होता है ?

Ans-  पुनर्जनन द्वारा अलैंगिक प्रजनन होता है । इस विधि में जीवों के शरीर का खंडन दो या दो से अधिक भागों में हो जाता है । खंडित भाग फिर से संपूर्ण रचनाओं का विकास कर लेता है तथा नये जीव में बदल जाता है । जैसे स्पाइरोगाइरा , हाइड्रा , प्लेनेरिया इत्यादि

35. द्विखंडन एवं बहुखंडन में दो अंतर लिखें ।

Ans- द्विखंडन एवं बहुखंडन में दो अंतर –

                                    द्विखंडन                                   बहुखंडन
1. द्विखंडन में जीव दो एवं समान संतति जीव का निर्माण करता है 1.बहुखंडन में जीव एक जैसे कई  जीवों का निर्माण करता है।
2. इसके चारों ओर रक्षी भित्ति नही बनती है |2. इसके चारों ओर रक्षी भित्ति बन जाती है |

35.स्वपरागण एवं परपरागण में क्या अंतर है ?

Ans- स्वपरागण किसी भी पुष्प के परागकोश से परागकणों का उसी पुष्प अथवा उसी जाति के दूसरे पुष्पों के वर्तिकाग्र तक पहुंचना स्वपरागण कहलाता है ।

परपरागण – यदि एक पौधे के पुष्प के परागकणों का स्थानानतरण दुसरे पौधों पर स्थित पुष्प के वर्तिकाग्र तक हो तो ऐसे परागण को परपरागण कहते हैं

36.कायिक प्रवर्धन को परिभाषित करें।

Ans-  पौधे के शरीर का कोई भी कायिक भाग जैसे जड़, तना, पत्ती आदि अलग हो कर नये पौधे का निर्माण करता है, तो जनक के समान नए पादप का निर्माण होता है यह प्रक्रम कायिक प्रवर्धन  कहलाताहै।

जैसे – गुलाब, अगूर, आलू, प्याज, इत्यादि में कायिक प्रवर्धन पाया जाता है।

37. एक- कोशिकीय एवं बहुकोशिकीय जीवों की जनन पद्धति में क्या अंतर हैं?

Ans-  एक- कोशिकीयएक कोशिकीय जंतु में अक्सर अलैंगिक जनन होता है । इसमें मुख्यतः विखंडन , बहुखंडन , मुकुलन इत्यादि द्वारा जनन होता है । इसमें कोशिका विभाजन समसूत्री अथवा असमसूत्री विधि द्वारा होती है ।

बहुकोशिकीय बहुकोशिकीय जीवों में लैंगिक जनन होता है । इस प्रकार जनन में DNA की प्रतिकृति का निर्माण होता है तथा इससे विभिन्नताएँ उत्पन्न होती हैं जो विकास में सहायक है ।

38. मुकुलन क्या है ?

Ans-  मुकुलन अलैंगिक जनन विधि है । इस विधि में जनक के शरीर की सतह से मुकुल यानि कलि निकलता है और शरीर से अलग हो जाता है तथा बढ़कर नये जीव का निर्माण होता है ।

उदाहरण —यीस्ट, हाइड्रा इत्यादि ।

39. लैंगिक जनन का क्या महत्त्व है?

Ans- लैंगिक जनन का महत्व –

( i ) इसमें सभी जीवों में गुणसूत्र की एक निश्चित संख्या होती है।

( ii ) लैंगिक जनन में नर तथा मादा युग्मकों में दो अलग जीवों से प्राप्त डी०एन०ए० का समावेश होताहै।

( iii ) इस प्रक्रिया में अर्द्धसूत्री विभाजन तथा निषेचन होता है |

40.अलैंगिक जनन की अपेक्षा लैंगिक जनन के क्या लाभ हैं?

Ans- अलैगिक जनन में संतान की उत्पत्ति में सिर्फ एक जनक भाग लेते हैं जिसे उत्पन्न संतानें ठीक जनकों के समान होती है । उनमें किसी तरह की भिन्नता नहीं पाई जाती है। लेकिन लैंगिक जनन में दो जनक भाग लेते हैं। नर एवं मादा युग्मक अर्द्धसूत्री विभाजन द्वारा बनते हैं। इसके DNA में भिन्नता उत्पन्न होती है और गुणसूत्रों के नए जोड़े बनने से जिससे जीवों में श्रेष्ठ गुण उत्पन्न होते हैं।अलैगिक जनन की तुलना में लैंगिक जनन जीवों में विविधता एवं जैव विकास के ज्यादा अवसर प्राप्त होते हैं

41. निषेचन किसे कहते हैं ?

Ans- जब नर युग्मक के शुक्राणु और  मादा युग्मक के अंडाणु मिलते है तो युग्मनज का निर्माण होता है और इस इस प्रक्रिया को निषेचन कहते है । जो विभाजित होकर भ्रूण का निर्माण करता है ।

42. गर्भनिरोधक गोलियों के बारे में बताएँ ।

Ans- परिवार नियोजन के लिए कई प्रकार की गर्भ निरोधक गोलियों का प्रयोग किया जाता है । इन गोलियों में कृत्रिम प्रोजेस्ट्रोन तथा एस्ट्रोजन का समन्वय होता है जो पिट्यूटरी ग्रंथि द्वारा FSH तथा LH के स्राव को रोक देता है । जिससे अंडोत्सर्ग की क्रिया रूक जाती है तथा मासिक चक्र बाधित हो जाता है |

43. मनुष्य में होने वाले लैंगिक संचारित रोगों के नाम लिखें ।

Ans-

               लैंगिक संचारित रोग         होने के कारण 
 1. एड्स ( AIDS ) विषाणु 
2. क्लैमिडिओसिसबैक्टीरिया
3. गोनोरियाबैक्टीरिया
4. सिफलिस बैक्टीरिया
5. यूरेथ्राइटिस बैक्टीरिया
6. सर्वी साइटिस बैक्टीरिया
7. हर्षिस वायरस
8. हीपैटाइटिस बी वायरस
9.ट्राइकोमोनिएसिस  प्रोटोजोआ

44. गर्भ निरोधक युक्तियाँ अपनाने के क्या कारण हो सकते हैं ?

Ans- गर्भ निरोधक युक्तियाँ अपनाने का मुख्य कारण जनसंख्या वृद्धि को रोकना है । । इसके कारण उत्पादित खाद्यान्नों की कमी , उपलब्ध संसाधनों के बीच प्रतिस्पर्धा , आवास की कमी , बेरोजगारी , भूखमरी , अपराध में वृद्धि आदि अनेक वैश्विक समस्याएँ उत्पन्न हो गई हैं । ऐसी विषम परिस्थिति में किसी भी परिवार , समाज तथा देश में जनसंख्या को सीमित रखना अति आवश्यक है

45. हम अपने माता -पिता के समान क्यों होते हैं ?

Ans- प्रत्येक जीव में बहुत से ऐसे गुण होते हैं जो पीढ़ी दर पीढ़ी माता – पिता से उनके संतानों में चली जाती है । ऐसे गुणों को आनुवंशिक गुण या पैतृक गुण कहते हैं । प्रत्येक सदस्य की कोशिका में गुण सूत्रों की संख्या समान होती है । नर तथा मादा के युग्मक लैंगिक जनन में भाग लेते हैं । इस प्रकार आनुवांशिकता सुनिश्चित होती है । इन्हीं गुणों के कारण उत्पन्न संतान माता – पिता के समान होते हैं ।

 46. हम यह कैसे जान पाते हैं कि जीवाश्म कितने पुराने हैं ?

Ans-  जीवाश्म कितने पुराने हैं आकलन करने के दो विधि हैं-

(i) सापेक्ष विधि – जो जीवाश्म हम पृथ्वी के सतह की नजदीकी  स्तरों में पाते हैं वह ज्यादा नई होती है और जो जीवाश्म गहरे में पाये जाते हैं वो पुराने या प्राचीन होते हैं ।

(ii) फॉसिल डेटिंग – इसमें में कार्बन काल निर्धारण पद्धति द्वारा जीवाश्म का समय निर्धारण होता है । सजीव वस्तुओं में उपस्थित कार्बन -14 से उसकी आयु का पता लगाते हैं ।

47. जीवाश्म क्या है ? जैव विकास प्रक्रम के विषय में ये क्या बतलाता है ?

Ans- विलुप्त जीवों के अवशेष चिह्न जो पृथ्वी के चट्टानों पर पाये जाते हैं , जीवाश्म कहलाते हैं । जीवाश्मों के अध्ययन से जैव विकास के प्रमाण मिलते हैं। आर्कियोप्टेरिक्स एक ऐसा ही जीवाश्म है जिसमें रेप्टीलिया तथा एवीज दोनों के गुण पाये जाते हैं। आर्कियोप्टेरिक्स में रेप्टीलिया की तरह जबड़ों में दाँत तथा अंगुलियों में नख थे। पक्षियों की तरह इसमें डैने तथा पर या पंख थे।इसके अध्ययन से इस बात की पुष्टि होती है कि रेप्टीलिया तथा एवीज का विकास एक ही पूर्वज से हुआ है ।

48. समजात अंगों से आप क्या समझते हैं? उदाहरण दें ।

Ans- जंतुओं के ऐसे अंग जो संरचना एवं उत्पत्ति के दृष्टिकोण से एक समान हो परंतु उनके कार्य भिन्न भिन्न हो, समाजत अंग कहलाते हैं ।

उदाहरण – मेढ़क , पक्षी , बिल्ली तथा मनुष्य के अग्रपादों  की अस्थियाँ

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