BSEB 10th Non Hindi इर्ष्या तू न गई मेरे मन से

इर्ष्या तु न गई मेरे मन से

प्रश्न 1. वकील साहब सुखी क्यों नहीं हैं ?

उत्तर – वकील साहब को धन – सम्पत्ति सुन्दर घर मृदुभाषिणि पत्नी पुत्र – पुत्री किसी चीज की कमी नहीं है लेकिन वे सुखी नहीं हैं क्योंकि उनके हृदय में ईर्ष्या रूपी आग सदैव पीड़ा पहुँचा रही है । उनके बगल का एक बीमा एजेन्ट की चमक – दमक , आमदनी गाड़ी इत्यादि सभी उन्हीं को क्यों नहीं हो जाता है । अर्थात् किसी को सुख – सुविधा या आय क्यों ? ईर्ष्या के कारण वे सदैव चिन्तित और दुखी रहा करते । उन्हें सब सुख रहते हुए भी सुख नहीं था ।

प्रश्न 2. ईर्ष्या को अनोखा वरदान क्यों कहा गया है ?

 उत्तर- ईर्ष्या को अनोखा वरदान इसलिए कहा गया है कि जिसके हृदय में यह अपना घर बना लेता है उसको प्राप्त सुख के आनन्द से वंचित कर देता है । ऐसा व्यक्ति जिसके हृदय में ईर्ष्या होती उसे अप्राप्त सुख दंश की तरह दर्द देता है । ईर्ष्या उसे अपने कर्त्तव्य मार्ग से विचलित कर देता है जो ईर्ष्या की अनोखा वरदान है ।

 प्रश्न 3. ईर्ष्या की बेटी किसे और क्यों कहा गया है ?

उत्तर – ईर्ष्या की बेटी निंदा को कहा गया है । जिसके पास ईर्ष्या होती वह ही दूसरों की निंदा करता है । ईर्ष्यालु व्यक्ति सोचता है कि अमुक व्यक्ति यदि आम लोगों के नजर से गिर जाय तो उसका स्थान हमें प्राप्त हो जायेगा । इस प्रकार निंदा ईर्ष्यालु व्यक्ति का सहायक बनकर ईर्ष्या रूपी आग को और भी अधिक बढ़ा देती है । इसीलिए तो निंदा को ईर्ष्या की बेटी कही गई है ।

प्रश्न 4. ईर्ष्यालु से बचने के क्या उपाय हैं ?

उत्तर – ईर्ष्यालु व्यक्ति सभ्य सज्जन और निर्दोष व्यक्ति की भी निंदा करता है । ईर्ष्यालु उसे समाज में नीचा दिखना चाहता है तो ऐसे अवस्था में उस सज्जन व्यक्ति को चाहिए कि वह अपनी कमजोरी को देखें और उसे दूर कर उसे प्रभावित करें कि ईर्ष्यालु व्यक्ति के हृदय में स्थित ईर्ष्या निकल जाय । यही उससे बचने का उपाय है ।

प्रश्न 5. ईर्ष्या का लाभदायक पक्ष क्या हो सकता है ?

उत्तर – ईर्ष्या से स्पर्द्धा होती है । जब स्पर्द्धा की बात ईर्ष्या से होती है तो वह आदमी अपने कर्म बदौलत अपने प्रतिद्वन्दी को पछारना चाहता है । इससे ईर्ष्यालु व्यक्ति में उन्नति होता है । इस प्रकार स्पर्द्धा ईर्ष्या का लाभदायक पक्ष साबित हो सकता है ।

error: Content is protected !!