बिहारी के दोहे

#1. ‘बतरस लालच लाल की मुरली धरी लुकाई’ काव्य पंकित है ?

#2. ‘मेरी भव बाधा हरौ, राधा नागरी सोय’ यह पंक्ति है ?

#3. बिहारी के अनुसार मनुष्य किसके बिना बड़ा नही बन सकता ?

#4. बिहारी किस काल के श्रृंगारिक कवि है ?

#5. “बिहारी के दोहे” शीर्षक कविता में किस तरह के दोहे शामिल है ?

#6. मेरी भव बाधा हरौ राधा नागरी सोय | जा तन की झाईं परै स्यामु हरित दुति होय | इस दोहे में बिहारी किनके महिमा का गुणगान किया है ?

#7. कबीर नर के मन की तुलना किससे करते है ?

#8. “सोंह करै भौहनु हंसै ” –कवि किसके संबंध में कहता है ?

#9. दीरघ साँस ने लेहू दुःख सुख …….. ही न भूल | दई दई क्यों करतू है, दई दई सू कबुली ?

#10. जपमाला छापै तिलक सरै न एको कामू | मन-कांचै नाच नाचै वृथा, सांचै रांचै रामू | उपयुक्त दोहा किस कवि के है ?

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