ईर्ष्या: तू ना गई मेरे मन से

#1. निंदा है –

#2. वकील साहब –

#3. मूलरूप से रामधारी सिंह ‘दिनकर’ है –

#4. ‘तुम्हारी निंदा वही करेगा, जिसकी तुमने भलाई की है’ यह पंक्ति है –

#5. ‘यार, ये तो बाजार कि मक्खियाँ है जो अकारण हमार चारो ओर भिनभिनाया करती है’ यह पंक्ति है –

#6. रामधारी सिंह ‘दिनकर’ का जन्म हुआ –

#7. लेखक के अनुसार ‘निंदा’ की माँ है –

#8. ईर्ष्या का संबंध होता है –

#9. ईर्ष्या सबसे पहले किसे जलाती है ?

#10. ‘ईर्ष्या: तू न गई मेरे मन से’ साहित्य की कौन सी विधा है ?

#11. ‘ईर्ष्या: तू न गई मेरा मन से’ के रचयिता कौन है ?

#12. ईर्ष्या: तू न गई मेरा मन से’ पाठ में वकील साहब के बगल में कौन रहते है ?

#13. रामधारी सिंह दिनकर के किस निबंध में जीवन के रोजमर्रा के व्यवहारों पर टिप्पणी हिया ?

#14. सही संतुलित जीवन के प्रति एक दृष्टिकोण विकसित करने की सिख है ?

#15. तनावों को कम करने में व्यक्ति की अपनी ……… खास योगदान देती है ?

finish

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